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Friday, July 26, 2013

बरसाती बादल

आसमान में ये गरजे बादल 
धरती  पर  ये  बरसे  बादल 

दूध जैसे सफ़ेद थे जो अबतक 
मैले  होकर  लौटे  है  ये  बादल 

आज नहीं , कल खेलेंगे लुकाछिपी 
बोले उडनखटोले, टालने को आज ये बादल 

निकलता है कागज़ की कश्तियों का काफ्ला 
जब जब बच्चे देखतें है ये बादल 

बरसे  तो  रहमत  है  ये ,
फट जाये तो आफत है बादल .

- अली असगर देवजानी .
   26/7/2013

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