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Monday, December 12, 2011

गरीब की गुज़ारिश


चंद खुशियों  के लम्हात दे दो 
हमारे हक़ का  मुठ्ठी भर अनाज दे दो 
लेने चाहो उतने वोट ले लो
हमारे हिस्से के नोट दे दो 

न हे गाँव में कोई अच्चा दवाखाना 
न हे शहर  में कोई दंघ का सरकारी अस्पताल 
लेते हो विशिष्ठ  प्रकार की सुविधाएँ 
हमें प्राथमिक सुविधाएँ तो दे दो

बनाते  हो बहोत साडी योजनाए
मिले हमें भी लाभ ऐसी कोई तो दे दो 
मिलने जाते हो विदेश के लोगो को 
मुलाकात का समय कभी हमें दे दो 

काफी टन अनाज पड़े पड़े साद जाता हे
दे नहीं सकते तो लेने की इज़ाज़त दे दो
लेते हो ज़मीने विकाश के नाम पर  
कुछ ध्यान हमारे विकास में दे दो

बनाते हो भारत के शहरो  को  विदेश जैसा 
भारत का एक समृद्ध गाँव तो हमें दे दो
देते हो हर चिठ्ठी का जवाब अमीरों को
कभी गरीब की चिठ्ठी का जवाब तो दे दो 
                                        

                                                         -अली असगर  देवजानी