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Monday, December 24, 2012

एक नया दौर



चिन्टूमिंया मंदी से हार गए थे,
धंधे एक - दो नहीं चार गए थे,

चिन्टूमिंया ने जब जीवन अंत का सोचा,
उनके पिताजी ने तब उन्हें खूब डांटा,

बोले वो घाटे हुए थे हमें कईबार,
फिर भी न आये थे ऐसे विचार ,

बुजुर्गोने हमें समझाया था ,
मुश्किल हालातों से बचाया था ,

जीवन अंत का विचार तुम जाओ भूल, 
अपने कार्यो में तुम हो जाओ  मशगूल, 

इस मंदी से तुम मत डरो , 
मेरी सलाह पे सिर्फ अमल करो,

बुजुर्गो के मार्गदर्शन से घाटे हुए थे दुर ,
वही तो दौर था जब हम हुए थे मशहूर ,

उस सलाह ने अपना चमत्कार दिखाया, 
चिन्टूमिंया के जीवन में एक नया दौर आया.

-अली असगर देवजानी 

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