जब है इश्वर में स्रध्धा अपार
फिर इंसान निराश क्यों है
हर रात के बाद होता नया दिन है
फिर इंसान निराश क्यों है
अभी धुप है तो फिर छाँव होगी
फिर इंसान निराश क्यों है
होता है हल हर मुश्किल का
फिर इंसान निराश क्यों है
चाहता है खुशियाँ सभी की
फिर इंसान निराश क्यों है
- अली असगर
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