आसमान में ये गरजे बादल
धरती पर ये बरसे बादल
दूध जैसे सफ़ेद थे जो अबतक
मैले होकर लौटे है ये बादल
आज नहीं , कल खेलेंगे लुकाछिपी
बोले उडनखटोले, टालने को आज ये बादल
निकलता है कागज़ की कश्तियों का काफ्ला
जब जब बच्चे देखतें है ये बादल
बरसे तो रहमत है ये ,
फट जाये तो आफत है बादल .
- अली असगर देवजानी .
26/7/2013